Wednesday, June 20, 2012

प्रधानमंत्री और सरकार बनाना बिगाडना छोडो,समाचार दिखाओ समाचार.आप लोगो के एक्ज़िट पोल का हाल जनता कई बार देख चुकीहै.

सुत न कपास जुलाहो में लट्ठम लट्ठा नही तलवार-भाला-बरछा-बंदूक-गोला-बारूद बम,सब कुछ हो रहा है.प्रधानमंत्री अभी बनना नही है.और प्रधानमंत्री चुनती है सबसे बडी पार्टी जिसे जनता चुनती है.पर यंहा देश में बेवजह हंगामा खडा किया जा रहा है.वो भी एक प्रांत के मुख्यमंत्री के कहने पर.कमाल है जो काम जिसे करना है वो नही कर रहा है.प्रधानमंत्री चुनना है जनता को और चुन रहा है मीडिया,महंगाई,भ्रष्टाचार के खिलाफ लड्ना चाहिये मीडिया को तो वो काम कर रही है खुद जनता.अरे प्रधानमंत्री किसे बनाना है ये सबसे बडी पार्टी तय करेगी जिसे जनता चुनेगी,मीडिया नही जिसने पीछले आम चुनाव में भी थर्ड और फोर्थ फ्रण्ट तक बना डाला था.मोदी को तो वे पीछले दो चुनाव से हराते आ रहे हैं.और अभी चुनाव होने है राष्ट्रपति पद के लिये,कल तक इसी बात पर हंगामा चल रहा था.मीडिया उसमे भी अपनी राय थोपने की कोशिश करता रहा.और अब ये तय करने में लग गया है कि प्रधानमंत्री कौन होगा?कैसा होगा?साम्प्रदायिक होगा?सेक्यूलर होगा?बहुसंख्यक होगा या अल्पसंख्यक होगा?दुनिया के अधिकांश देशों मे बहुसंख्यक ही मुखिया होता है.खासकर मुस्लिम देशों मे तो वही मुखिया होते हैं.तो फिर इस देश में बहुसंख्यक हिंदूवादी प्रधानमंत्री क्यों नही हो सकता?फिर आज तक़ सेक्यूलर प्रधानमंत्री जो बने है क्या उससे अल्पसंख्यको का भला हुआ है?और क्या देश में गैर कांग्रेसी सरकारो के समय अल्पसंख्यको पर कहर टूट पडा था.आखिर ये राजनैतिक छुआछुत क्यों मचा रखी है?प्रधानमंत्री चुनने का काम राजनैतिक पार्टीयां कर ही लेंगी.उसे छोड कर और भी काम है.समाचार दिखाना छोड सब दिखा रहे हैं.विग्यापन दिखाते भी है और उसे झूटा भी बताते हैं.सारा देश उनसे भ्रष्टाचार,महंगाई,बेरोज़गारी और भुखमरी के मुद्दे पर सवाल उठाने की उम्मीद लगाये बैठी है और वो लोग लगे है सिर्फ पोलिटीकल ड्रामे के पीछे.खुद सवाल करते है और जवाब को बताते हैं कि इन्होने ये कहा.फिर भाजपा टूटती है तो टूटे,बिहार सरकार गिरती है तो गिरे,ये तो उन पार्टियों का प्राब्लम है,जनता का नही.जनता के बारे में कब सोचोगे?कब सोचोगे देश की राजधानी प्यासी है.बिजली के दाम बढने वालेहै.बिजली उपलब्ध ही नही है.कई प्रदेशों में यही हाल है.सडको की हालत खराब है.सेना में हथियारो की कमी है.नक्सलवाद पैर जमा चुका है.आम आदमी का बुरा हाल है महंगाई के कारण.कभी इस पर भी तो बडा सवाल किया करो.बडी खबर दिखाया करो.बडी बहस किया करो.प्रधानमंत्री और सरकार बनाना बिगाडना छोडो,समाचार दिखाओ समाचार.आप लोगो के एक्ज़िट पोल का हाल जनता कई बार देख चुकीहै.

3 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

अच्छा आलेख!
इसको साझा करने के लिए आभार!

Unknown said...

सुंदर रचना एवं अभिव्यक्ति  "सैलानी की कलम से" ब्लॉग पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतिक्षा है।

Astrologer Sidharth said...

यह दिमागी दिवालिएपन का नतीजा है। एक बार पूंछ पकड़ ली तो फाड़ के ही दम लेंगे... :)